प्रदेश सरकार से प्रतिमाह पहले दिन पैन्शन को जारी करने की गुहार
शिमला 4 सितम्बर
हिम नयन न्यूज/ ब्यूरो/ वर्मा
हिमाचल प्रदेश सचिवालय एवं अन्य संबंध पैंशनर कल्याण संघ के प्रधान मदन लाल शर्मा, महासचिव भूपराम वर्मा ने एक संयूक्त ब्यान में कहा है कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों/ पैन्शनरों को जो हर माह वेतन प्रतिमाह पहली तारीख को मिलता था वह सितंबर माह में अभी तक नहीं मिला है जिस पर संघ ने कड़ा रोष जताते हुए सरकार की कार गुजारी पर सवालियां निशान उठाए है। उन्होंने कहा है कि एक तरफ तो हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री विधानसभा में यह स्थान दे रहे है कि प्रदेश में कोई भी वित्तिय संकट जैसे हालात नहीं है परंतु वास्तव में सरकार का खजाना बिल्कुल खाली है। जिस कारण सरकार अपने कर्मचारियों और पैन्शनरों को प्रति माह का वेतन भी नहीं दे पा रहें है। इस प्रकार की गतिविधियां कभी भी किसी भी मुख्यमंत्री के कार्याकाल में नहीं हुई चाहे पूर्व में रहे वाई०एस० परमार हो या ठाकुर रामलाल, शातां कुमार, वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल या जयराम ठाकुर जहां प्रदेश के कर्मचारियों / पैन्शनरों को अपने Dues, Pay/Pension समय पर मिलती रही है।
संघ का कहना है कि हाल ही में सरकार ने मन्त्रियों व विधायको के वेतन व भत्ते जल्दबाजी में बढ़ा कर प्रदेश के खजाने में लाखों रूपए का बोझ डाल दिया है। अभी सरकार को बने लगभग 18 महीने हो गए है और लगभग 28000 करोड़ का ऋण सरकार ले चुकी है। सरकार बनने के बाद लगातार फिजूलखर्चा करती जा रही है जिसमें मुख्य
संसदीय सचिवों की नियुक्ति OSD, Vice Chairman को Cabinet Rank देना, Retired कर्मचारियों को Re-employment देना भी बेरोजगारों के साथ दोखा है। सरकारी भवनों पर आनावश्यक मुरम्मत / Renovation & Beautification के लिए करोड़ो रूपये खर्च कर रही है। इसके अतिरिक्त मंत्रियों / चेयरमैनों व उच्च अधिकारियों की लगजरीज गाड़ियों पर लाखों रूपए मुरम्मत व पैट्रोल के लिए खर्च कर रही है।
सरकार ने मन्त्री व विद्यायकों के भत्ते भी चुपके से बढ़ा दिये है और कर्मचारियों व पैन्शनरों के लिए खजाना खाली की बात कर रहे है। हाल ही में सरकार ने 30-07-2024 को Notification जारी कर कामगार वार्ड के अध्यक्ष के honorarium को 30,000 से बढ़ाकर 1,30,000 कर दिया। सरकार ने हिमाचल प्रदेश प्राधिकरण का (H.P. Administrative Tribunal) को बहाल करना भी जनहित में नहीं है जिसका कर्मचारी वर्ग विरोध कर चुके है जिसमें करोड़ो का खर्च आएगा। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत को देय पैन्शन खैरात नहीं है यह उनका अर्जित किया हुआ धन है। पैन्शनर अपनी 3 पीड़ियों का गुजर बसर इसी पैन्शन से करते है और उम्र के इस पड़ाव में पैन्शनर की आय का कोई अन्य साधन नहीं होता है और न ही बूढ़ापे में कार्य करने की क्षमता होती है तथा विभिन्न बिमारियों से ग्रस्त रहतें है। सरकार ने हि०प्र० के कर्मचारियों को 01.01.2016 से 31.12. 2021 तक हुए सेवानिवृत कर्मचारियों के देय वित्तिय लाभ 8 वर्षों से रोक रखे हैं और इस बकाया राशि को लेने के लिए पैन्शनरज ने माननीय उच्च न्यायालय में भी हजारों रूपए वकीलों को दे कर अपने केस दायर किए है और न्यायालय के निर्णय के आने के बाद भी सरकार ने उल्टा उन केसों में रिविजन पैटिशन/एल० पी० ए० दायर की है जो एक चिंता का विषय है और न्यायोचित नहीं है। उन्होंने प्रदेश सरकार से प्रतिमाह पहले दिन पैन्शन को जारी करने की गुहार लगाई है। यदि सरकार इसमें विफल रहती है तो आने वाले समय में सरकार का विरोध करने के लिए सभी पैनशनर्ज सड़को पर उतरने को तैयार बैठे है।