मुख्यमंत्री सुक्खू के तानाशाही निर्णय को बताया असंवैधानिक, सीपीएस विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग
शििमला 14 नवम्बर,
हिम नयन न्यूज/ ब्यूरो /वर्मा
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के डबल बेंच द्वारा प्रदेश में नियुक्त किए गए मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) की नियुक्ति को अवैध ठहराने और उनकी सभी सुविधाओं को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के फैसले का स्वागत किया है। ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा सीपीएस नियुक्ति के फैसले को असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय प्रदेश के संसाधनों पर भारी वित्तीय बोझ डालने का कारण बताया
संविधान का उल्लंघन किया गया
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार ने संविधान और उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेशों की अवहेलना करते हुए यह नियुक्ति अपने विधायकों को खुश रखने के लिए की थी। उन्होंने मांग की कि अब उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद, इन सीपीएस की नियुक्ति करने वाले सभी विधायकों की विधानसभा सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए।
करोड़ों का वित्तीय बोझ पड़ा
ठाकुर ने कहा, “सुक्खू सरकार ने जानबूझकर इस फैसले को लागू किया, जिससे प्रदेश के राजस्व पर करोड़ों रुपए का बोझ पड़ा। भाजपा ने इस मुद्दे पर शुरू से ही विरोध किया था और न्यायालय में इसका विरोध किया।” उन्होंने कहा कि प्रदेश के संसाधनों का उपयोग इस निर्णय को सही ठहराने में किया गया, जबकि उन संसाधनों को प्रदेश के विकास कार्यों में लगाना चाहिए था।
भा.ज.पा. का स्पष्ट स्टैंड
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी बताया कि जब 2017 में भाजपा की सरकार थी, तो उस समय भी सीपीएस की नियुक्ति का मुद्दा उठा था, लेकिन भाजपा ने इसे असंवैधानिक मानते हुए ऐसा कोई कदम नहीं उठाया था। उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस सरकार चाहती तो वह इस फैसले से पीछे हट सकती थी, लेकिन संवैधानिक व्यवस्था को न मानने की वजह से सुक्खू सरकार ने इसे जारी रखा।”
सुक्खू सरकार की तानाशाही
ठाकुर ने आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार संविधान के बजाय अपने निजी प्रावधानों को प्राथमिकता देती है। उन्होंने कहा, “इससे यह साफ हो गया है कि कांग्रेस सरकार की नीयत संविधान और न्यायालय के आदेशों के प्रति ईमानदारी से काम करने की नहीं है।”
भा.ज.पा. नेताओं और अधिवक्ताओं को धन्यवाद
नेता प्रतिपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं को धन्यवाद दिया और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह निर्णय प्रदेश की जनता और संविधान के प्रति न्यायालय की प्रतिबद्धता को दिखाता है।
आखिरकार न्याय की जीत
जयराम ठाकुर ने इस फैसले को न्यायालय की जीत बताया और कहा कि यह निर्णय प्रदेश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान की रक्षा करने की दिशा में एक अहम कदम है।