/‘चिट्टे’ के खिलाफ युद्ध स्तर पर लड़ना अब ज़रूरी है, मजबूरी है

‘चिट्टे’ के खिलाफ युद्ध स्तर पर लड़ना अब ज़रूरी है, मजबूरी है

सोलन 12 फरवरी

हिम नयन न्यूज /ब्यूरो

साभार मनमोहन सिंह

देश भर में नशे के सौदागरों ने बरसों से जो जाल बुना है अब उसे पूरी तरह से तोड़ने का समय आ गया है। आप और हमें अंदाज़ा भी नहीं है कि चिट्टे के व्यापारी किस तरह बच्चों तक इसे पहुंचा रहे हैं।

कुछ मामलों में नशेड़ियों ने अपने माता पिता तक को दवाइयों के नाम पर यह ज़हर खिला कर इसका आदि बना दिया है। आज यह एक आपातकाल की स्थिति में है। हैरानी इस बात की है कि देश की खुफिया एजेंसियों की नज़रों से यह व्यापार कैसे बचा रहा। सन 2001 में मैने ज़ी न्यूज के एक कार्यक्रम ‘ स्पेशल कॉरेस्पॉन्डेंट ‘ के लिए चरस के व्यापार को देश के सामने लाने वाली एक तरह की पूरी डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। उसमें इन तस्करों के काम करने के तरीके भी दिखाए गए थे। तभी यह पता चला था कि मनाली के साथ लगते इलाके मलाणा में बाकायदा भांग की गैर कानूनी खेती होती है और उसी से चरस बनाई जाती है। फिर किस तरह उसके तार विदेशी धरती से जुड़ते हैं। तभी पता चला था कि ये तस्कर स्कूल के छोटे छोटे बच्चों का इस्तेमाल चरस को इधर से उधर ले जाने के लिए करते हैं।

आज वे ही बच्चे चिट्टे का शिकार हो रहे हैं। कल मेरे एक मित्र ओमप्रकाश घई ने कुछ ऐसी दवाओं का ज़िक्र भी किया जो ये तस्कर स्कूली बच्चों तक पहुंचा रहे हैं। मैने उनकी यह रिपोर्ट सोशल मीडिया पर डाली है। अब वे बच्चों को चॉकलेट, टॉफी या कैंडी में मिला कर चिट्टे की लत लगवा रहे हैं। यह बहुत ही खतरनाक है।


इससे बचाव के लिए जहां पुलिस प्रशासन को चुस्त दुरुस्त होने की ज़रूरत है वहीं सरकार को कुछ सख्त कदम भी उठाने होंगे।

डोप टेस्ट:

मेरे परम मित्र और हिमाचल सरकार में मंत्री रहे मोहिंदर नाथ सोफत के कुछ सुझाव हैं जिनसे मैं भी पूरी तरह सहमत हूं। उनका कहना है कि किसी भी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने वे व्यक्ति का डोप टेस्ट होना लाज़िम बनाया जाए। इसी तरह ड्राइविंग लाइसेंस बनाते समय, कोई सरकारी ठेका देते समय, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में दाखिला देते समय डोप टेस्ट को अनिवार्य किया जाए। मिडिल स्कूलों में जिनमें 12-13 साल की उम्र के बच्चे पढ़ते हैं अचानक डोप टेस्ट करवाए जाएं।

शिक्षकों का भी डोप टेस्ट होना लाज़िम है। असल में नशे के सौदागर अधिकतर 12-13 साल की उम्र के बच्चों पर अपनी नज़र रखते हैं। अचानक डोप टेस्ट करने पर उन नशेड़ियों को भी पकड़ा जा सकता है अभी तक नज़रों में नहीं आए हैं। इन्हें पकड़ने से वे लोग भी पकड़े जा सकते हैं जो उन तक नशा लाते हैं।


आज देश के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है। इसके निवारण के लिए अलग अलग जगह पर बहुत लोग काम कर रहे हैं, ज़रूरत है सभी को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की। हम लोग ‘जियो ज़िंदगी’ की तरफ से इस दिशा में पहल कर रहे हैं हमें अपनी कामयाबी पर भरोसा है। अगर आपके कोई सुझाव हों, या आप इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहें तो हमसे जुड़ सकते हैं।