सोलन अर्की 18 मार्च
हिम नयन न्यूज ब्यूरो वर्मा
मंडी, सोलन व बिलासपुर के आराध्य देव बाड़ू बाद देव आज भी बड़ी ही श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ पूजा जाता है।
लोगों की माने तो किंवदांतियों के अनुसार बाडुबाड़ा देव सुकेत के निर्माता पराक्रमी वीरसेन है, जिन्होंने 8वीं सदी में सुकेत की भी स्थापना की थी इसकी राजधानी पांगणा मंडी में बताई जाती है । इस वीर योद्धा ने चंबा सुकेत कल्लु, मंडी क्षेत्रों को अपने पराक्रम से जीता था ।
उपलब्ध ऐतिहासिक विवरण विशेषकर हिस्ट्री ऑफ हिल स्टेट शिमला बाघल हुचीसन के अनुसार इस योद्धा ने कई किले जीते , जिसमें श्रीगड़, नारायणगढ़, रघुपुर, जज माधोपुर बगा कोट, मनाली, चन्जयला, रायसन आदि है इन किलों के स्वामी इनके अधीन हुए तथा अनेक लोक देवों के रूप में प्रतिष्ठित हुए वीरसेन के गीत आज भी घर घर गाए जाते है।
बाडू बाद देव का मूल स्थान मांगल के मन्झयाटल धार के पूर्वी किनारे की ऊंची चोटी पर स्थित मानना जाता है, जबकि इसकी अन्य पूजाएं और रथ अर्की के दाड़लाघाट और मंडी सुकेत के नालनी बटवाड़ा तथा अन्य क्षेत्रों में भी स्थापित है। यह रथ चक्रधारी देव माने जाते है और फाल्गुन मास के पश्चात वैशाख तक इस देव की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है
मिली जान करी के मुताबिक इस साल भी बाडुबाड़ा देव की यात्रा 16 मार्च से शुरू हो कर मई माह तक चलेंगी। बाडुबाड़ा देव का प्रवास डेढ़ महीने तक लोगों के घरों में उनकी मन्नतें पूर्ण करने हेतु होता है, बाडुबाड़ा देव के कारिंदे अपने पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार सोलन, शिमला, बिलासपुर सहित मंडी में अपने देव की रथ यात्रा निकलेंगे । सोलन जिला और अर्की सहित आसपास के क्षेत्र में देवता को प्रमुख रूप से पूजा जाता है। दरलाघाट में इस का बाद आयोजन किया जाता है।