पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक कार्यवाही शुरू।
नई दिल्ली/शिमला 24अप्रैल,
हिम नयन न्यूज /ब्यूरो/ वर्मा
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई, ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
इस हमले के बाद बुधवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की एक उच्चस्तरीय बैठक नई दिल्ली में हुई। इस बैठक में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने का ब्ल्यू प्रिंट तैयार कर लिया गया है,, जिसे विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक किया।
मिस्री ने कहा कि पहलगाम हमले के पीछे सीमा पार आतंकवाद का स्पष्ट हाथ है, जिसे भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। खुफिया सूत्रों के अनुसार, हमले में शामिल चार आतंकियों में दो पाकिस्तानी और दो स्थानीय आतंकी थे, जिनमें से तीन के स्केच जारी किए गए हैं।

सीसीएस की बैठक में शामिल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा की।
पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए, सीसीएस ने कई कठोर फैसले लिए। मिस्री ने बताया कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता। इसके अलावा, अटारी-वाघा एकीकृत चेक पोस्ट को तुरंत बंद करने का आदेश दिया गया है, और केवल वैध अनुमति वाले लोग 1 मई 2025 तक इस मार्ग से वापस आ सकेंगे।
भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना (SVES) को रद्द कर दिया। SVES के तहत जारी सभी वीजा अमान्य होंगे, और भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ना होगा।
नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया, जिन्हें एक सप्ताह में भारत छोड़ना होगा। साथ ही, इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से भारत अपने रक्षा सलाहकारों को वापस बुलाएगा।
मिस्री ने कहा कि सीसीएस ने सभी सुरक्षा बलों को उच्च सतर्कता बरतने और आतंकियों व उनके प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने का संकल्प लिया।
उन्होंने तहव्वुर राणा के हालिया प्रत्यर्पण का जिक्र करते हुए कहा कि भारत आतंकवादियों और उनके समर्थकों को कहीं भी नहीं छोड़ेगा ।
पहलगाम के बायसरन घाटी में हुए इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक संगठन, ने ली है।
सीसीएस की बैठक ढाई घंटे तक चली, जिसमें जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की गहन समीक्षा की गई। अमित शाह, जो हमले के बाद श्रीनगर पहुंचे थे, ने बायसरन घाटी का दौरा किया और घायलों से मुलाकात की।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे “कायरतापूर्ण” हमला करार देते हुए कहा कि दोषियों को कड़ा जवाब दिया जाएगा। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में सबसे घातक हमलों में से एक है।
इस घटना ने कश्मीर के पर्यटन उद्योग पर गहरा असर डाला है, कई पर्यटकों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है। केंद्र सरकार ने एयरलाइंस और टूर ऑपरेटरों से पर्यटकों को रिफंड देने का आग्रह किया है। विश्व नेताओं, जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता जताई।