सोलन 8 नवम्बर,
हिम नयन न्यूज /ब्यूरो /कमल चौहान
हिमाचल में हो रहे विधान सभा चुनाव की सरगर्मियां पूरे जोरो पर है पार्टियो के स्टार प्रचारक जहां जगह जगह रैलियां कर रहे है वही पार्टी के प्रत्याशी भी अपने अपने ढंग से मतदाताओ को अपने अपने पक्ष में करने में लगे है । लेकिन इन चुनाव में जातीय समीकरण चुनाव में अपना प्रभाव डालते नही दिख रहे है । हिमाचल प्रदेश में पिछले काफी अरसे से स्वर्ण जाति के लोग स्वर्ण आयोग की मांग करते रहे इस के लिए जगह जगह रैलियो का भी आयोजन किया गया हरिद्वार से पैदल यात्रा भी की गई और आन्दोलन भी किए परन्तु इस का कोई परिणाम न निकलने पर स्वर्ण आयोग की मांग के प्रमुख कुनिहार निवासी रूमिल ठाकुर ने विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टी तैयार करके चुनाव में राजनैतिक पार्टियो के हाशिए पर लाने की योजना बनाई थी वह हकीकत में सिरे चढती नजर नही आई । राष्ट्रीय देव भूमि पार्टी ने विधान सभा चुनाव में अपने प्रतिनिधी मैदान में उतार दिए लेकिन जातीय समीकरण कहीं भी कारगर नही हो सके । वर्तमान में स्वर्ण आयोग की मांग के बाद संधर्ष से उत्पन्न राष्ट्रीय देव भूमि पार्टी के कोई भी प्रत्याशी अपने पक्ष में स्वर्ण जाति के मतदाताओ को आकर्षित करने में कामयाब नही हो पाए है । उधर बात करे बहु जन समाज पार्टी में काम करने वाले भी अपने पक्ष में किसी जाति विशेष को नही जोड पा रहे है । हिमाचल प्रदेश में भी इस बार मतदाताओ ने जातिय समीकरण से उपर उठकर विधान सभाके चुनाव लडने का प्रयास कियाहै इस बात के कई प्रमाण देखने को मिले है कि इन विधान सभा चुनावो में हिमाचल में लोग जातीय समीकरण से चुनाव न करके पार्टियो के आधार पर मतदान करने का मन बनाए हुए है । इस से किस को कितना फायदा होगा यह दीगर बात है । हां यदि कुछ विधान सभा चुनाव क्षेत्रो की बात करे तो वहां बाहरी बनाम अपना धरती पुत्र का के नाम पर प्रचार करते देखा गया है । बाहरी बनाम धरती पुत्र का मुद्दा कितना प्रभावी होगा यह समय ही बताएगा ।