सोलन 10 फरवरी,
हिम नयन न्यूज/ मनमोहन सिंह
भारत ने न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर तीसरी बार आई सी सी चैंपियनशिप की ट्रॉफी अपने नाम कर ली। यह एक ऐसी उपलब्धि है जो और कोई देश हासिल नहीं कर पाया। आज भारत दुनियां की सबसे ताकतवर टीम मानी जाती है।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस चैंपियनशिप के दौरान भारत ने लगातार सभी मैच जीते। इस के अलावा इस जीत में सभी खिलाड़ियों का बराबर का हाथ रहा। किसी मैच में कोई खिलाड़ी चला तो इसी में कोई। रोहित शर्मा की कप्तानी ने भी इस जीत में अहम भूमिका निभाई।
किस मैच में किस खिलाड़ी को खिलाना है यह तय करने में कप्तान की अहम भूमिका होती है। रोहित शर्मा ने हर मैच में सही टीम चुनी। फाइनल मुकाबले में वरुण चक्रवर्ती का जिस तरह का इस्तेमाल रोहित ने किया वह काबिल- ए- तारीफ है।
असल में वरुण तुरुप का पत्ता साबित हुआ। विदेशी टीमों ने उसकी गेंदबाजी को अधिक खेल नहीं था और पिच धीमी गेंदबाजी के अनुकूल थी। इस के साथ ही उसने गेंद को फ्लाइट देने में कभी गुरेज़ नहीं किया।
यह वो कला है जो आज के भारतीय गेंदबाज भूल गए हैं। किसी ज़माने में वीनू मांकड, सुभाष गुप्ते, बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना फ्लाइट के जादू से ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, और इंग्लैंड के बल्लेबाजों को नाच नाचते थे। पिच में टर्न हो या न हो, यहां तक कि विदेशी पिचों पर भी ये गेंदबाज क़यामत ढा देते थे।
दुबई की पिच भारत के अनुकूल थी इसलिए जसप्रीत बुमराह की गैरहाजरी महसूस नहीं हुई। भारत को स्पिन गेंदबाजी पर ध्यान देते रहना चाहिए। इन फिरकी देंगबाजों के बिना टेस्ट मैचों की बादशाहत हमें नहीं मिलने वाली। असली क्रिकेट तो वहां है। टी 20 और एक दिवसीय फॉर्मेट में अपना सिक्का जमाने के बाद अगला निशाना टेस्ट मैच होने चाहिए। वह पूरी तरह से अलग खेल है। उसमें अलग तकनीक और सब्र की ज़रूरत होती है। चलो अपने अगले लेखों में मैं क्रिकेट पर कुछ और चर्चा करूंगा, फिलहाल सभी को अपने भारत की यह जीत मुबारक हो।