/बिना आबकारी नीति बदले सामान्य उद्योग निगम को थोप दिया शराब बेचने का काम

बिना आबकारी नीति बदले सामान्य उद्योग निगम को थोप दिया शराब बेचने का काम

कारपोरेट सेक्टर समन्वय समिति ने 10 माह में 96 करोड़ नुकसान होने की जताई संभावना ।

शिमला, 3 जुलाई ,
हिम नयन न्यूज/ब्यूरो/वर्मा।

हिमाचल प्रदेश कारपोरेट सेक्टर समन्वय समिति ने निगमों और बोर्डों को शराब बेचने की जिम्मेदारी थोपे जाने पर आपत्ति जताई है।

समिति के प्रदेश अध्यक्ष देवी लाल ठाकुर, वित्त सचिव डी.आर. ठाकुर व उपसचिव राजिंद्र शर्मा ने शिमला में एक संयुक्त बयान में दावा किया कि इस कारण से हिमाचल प्रदेश सामान्य उद्योग निगम को 10 माह में 70 करोड़ रुपए से 96 करोड़ रुपए की हानि होगी।

उन्होंने कहा कि कोई भी शराब बनाने वाली कम्पनी इसको बेचने के लिए अधिकृत नहीं है। इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश सामान्य उद्योग निगम तथा हिमफैड अपनी ही बनाई हुई शराब को बेच रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।

उन्होंने कहा कि हिमफैड को अब तक 9 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है।

उन्होंने कहा कि शराब कारखानों को चलाने के लिए बैंकों से ऋण लेना पड़ता है। इस कारण जब उनको शराब बेचने के लिए नियमों के विपरीत बाध्य किया जा रहा है, तो उस स्थिति में कर्मचारियों को वेतन देने में परेशानी आ रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि निगमों, बोडौँ तथा नगर निगमों को घाटे वाले ठेके दिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा करके सरकार चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के कुछ अधिकारी इस कार्य को जबरदस्ती निगमों तथा
बोडौँ के अधिकारियों के ऊपर थोप रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कारपोरेट सेक्टर और नगर निगम शिमला की तरफ से शराब के ठेके नहीं चलाने के लिए सरकार को सूचित किया गया है।

उन्होंने नगर निगम शिमला की तरह एचपीएसआईडीसी, एचपीजीआईसी, एचपीएमसी, एचपी सिविल सप्लाई कारपोरेशन तथा वन निगम के प्रबंध निदेशक से आग्रह किया कि वह शराब को बेचने बारे जारी आदेशों को अस्वीकार करें, अन्यथा इससे सरकारी निगम कर्ज में डूब जाएंगे।

उन्होंने कहा कि निगमों और बोर्डों के कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए तथा मेडिकल रिम्बर्समेंट देने के लिए पॉलिसी नहीं है।

उन्होंने इस संदर्भ में हाईकोर्ट से भी मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया।