शिमला 7 जुलाई,
हिम नयन न्यूज/ ब्यूरो /वर्मा
हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ सालो से प्राकृतिक आपदा के चलते दर्जनो जाने जा चुकी है और भविष्य में भी इस की रोक थाम का कोई उपाय की किरण नजर आ रही आ रहा है । हिमाचल प्रदेश में लोगो का बढता आर्थिक स्तर व घरो का मोह लोगो में पहले से कही ज्यादा नजर आ रहा है
सरकारे व राजनैतिक पार्टिया लोगो की सहायता के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है । लेकिन पिछले कई सालो से हिमाचल में आने वाली प्राकृतिक आपदा के कारणो को तलाशने व इस का सही समाधान करने के लिए न लोगो का सहयोग लिया जा रहा है न ही जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है जिस से नदी नालो के किनारे बनते भवन कल के खण्डहर न बन पाए ।
हाल ही मे आई आपदा के विडियो में हम सभी को हस्तप्रद करने वाले उस विडियो ने झझकोर दिया जिस में मण्डी के एक हिस्से से भारी वन सम्पदा वन कर आ रही थी । पहाडो से वन सम्पदा को इस तरह से चोरी छिपे या मिली भक्त के चलते कटने के लिए कौर दोषी है यह दीगर बात है लेकिन इस का खामियाजा तो उन सभी को भुगतना पडा जो इस कटान के समय प्रत्यक्षव अप्रत्यक्ष रूप से साक्षी रहे होंगे ।
हिमाचल में मानव सभ्यता ने मुगलकाल से विकसित होना शुरू कर दिया था आक्रांताओ से बचने के लिए हमारे पूर्वजो ने हिमाचल के पहाडो में अपनी शरणास्थली बनाई थी लेकिन उन लोगो ने अपने स्थाई स्थान बनाते समय गांव को बसाने से पहले उस स्थान के भुगौलिक स्टाटा से ले कर नदी नालो हवा तुफान की दिशाओ को ध्यान में रखते थे । पीने के पानी से लेकर बालन व अन्य अपनी जरूरतो को ध्यान में रखते सभी गांवो को बसाया गया था ।
बढती आबादी और सामाजिक तानाबाने के बिखरने से लोगो ने जमीन के दलालो से मिल कर अपने घरो को नदी नालो पर भी बनाने शुरू कर दिए । विकास की बढती रफतार ने इस बात को काफी पीछे छोड दिया कि वास्तु या ज्योतिष जिस के अनुसार घर बनाए जाते रहे अब रूढिवादिता का प्रायः बन चुके है ।
शिक्षा का बढता स्तर और धन कमाने की जदोजहद में हिमाचल के लोग भी यह भूल गए कि हमारी संस्कृति ने हमे इन सभी चीजो को ध्यान में रखने के लिए पूर्वजो के समय से सचेत किया जाता रहा है । हर काम में बढती दलाली किसी के भी जीवन की कीमत को नही समझ पाएगी और विकास की इस ब्यार में दलालो का अहम स्थान है आपने जमीन खरीदनी है तो दलाल ही दिलवाएगा आपने लिए घर बनवाना है तो दलाल ही बनवाएगा । मालिक तो बढती विकास की प्रतिस्पर्धा में सिंर्फ पैसे के लिए जदोजहद कर रहा है । चाहे वह विकास भविष्य में उसके लिए या उसके परिवार के लिए विनाश ही क्यू साबित न हो ।
हिमाचल में लोक निर्माण विभाग की भी विकास में अहम भूमिका बताई जाती रही लेकिन लोक निर्माण विभाग से ठेकेदार निर्माण विभाग बनने से सब अस्थाई होता जा रहा है सडको के लिए मशीनो से किया जाने वाला कटान ठेकेदार इस तरह से करता है कि आने वाली बरसात में उपर से जमीन गिर कर सडक में आ जाए और उसे काम मिलता रहे । लोक निर्माण विभाग भी सडक के लिए जमीन इसी तकनीक से हथियाने के प्रयास में ठेकेदार के कृत्य में चुप्पी साधे रहता है ।
बढती दलाल प्रथा ने समाज को जहां भ्रष्ट बनाया वही विनाश की ओर भी दिशा दी जा रही है उस विनाश में चाहे भविष्य में उसके परिवार ही क्यू न हो ।
सडको के निर्माण में बरती जा रही अनियमितताओ की शिकायते भी भ्रष्ट तन्त्र के आगे रद्दी बनती जा रही है । अप्रकृतिक तरीको से किया जा रहा विकास विनाश का प्रायः बनता जा रहा है जिस के लिए समाज भी उतना ही उत्तरदायी है जितनी हमारी सरकारे ।
हिमाचल प्रदेश पूर्व मुख्य मन्त्री स्व राजा वीरभद्र सिंह ने एक बार मेरे सवाल के जबाव में कहा था कि मैडम हिमाचल का निवासी गरीब है बाहरी राज्यो के लोगो को यहां की जमीने खरीदने की अनुमति दे दूं तो शरमाएदार यहां सारी जमीने खरीद कर यहां प्रकृतिक सम्पदा को भी नष्ट कर देंगे लेकिन उसके आत्मसम्मान को देखते हुए हमने प्रदेश के बाहर के लोगो को यहां जमीने खरीदने की अनुमति नही दी है ताकि पहाडो को तबाही से बचाया जा सके । धन के लोभ में प्रकृतिक सम्पदा भी नष्ट हो जाएगी । लेकिन उसके पश्चात सरकारो द्वारा 118 के तहत दी गई अनुमति ने इन शरमाएदारो को यहां के पहाडो को खोदने का मौका दे दिया । जिस का भविष्य और भयावह होने की आशंका जताई जा रही है ।
समाज केबुध्दिजीवियो को इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि इन प्राकृतिक आपदाओ के लिए कौन जिम्मेदार है और इस का क्या समाधान रहेगा । सरकार के पास इस के लिए समय नही है यह काम समाज को ही करना पडेगा । इसकी पहल कौन करता है यह देखना है