पिपलूघाट–सरयांज मार्ग पर अधर में लटकी चट्टान बन सकती है बड़े हादसे का कारण।
सोलन, 13 अक्तूबर ,
हिम नयन न्यूज़ /ब्यूरो/ वर्मा
हिमाचल प्रदेश में एक ओर लगातार आपदाओं का कहर लोगों के जीवन पर भारी पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर विकास कार्यों में लगी एजेंसियों की लापरवाही और असंवेदनशीलता भी इन खतरों को और बढ़ा रही है।

राज्य सरकार जहां केंद्रीय एजेंसियों, विशेषकर एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही है, वहीं प्रदेश की अपनी निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग (PWD) और उसके ठेकेदार भी लोगों की सुरक्षा को लेकर उतने ही उदासीन दिख रहे हैं।

पिपलूघाट–सरयांज सड़क निर्माण में बढ़ा खतरा
सोलन जिले के पिपलूघाट से सरयांज सड़क विस्तार कार्य में बरती जा रही लापरवाही लोगों के जीवन के लिए गंभीर खतरा बन गई है। निर्माण कार्य शुरू करने के बाद ठेकेदार ने काम अधूरा छोड़ दिया है, और बिना किसी सुरक्षा उपायों के सड़क किनारे की कटान और मिट्टी डंपिंग ने जोखिम बढ़ा दिया है।
जानकारी के अनुसार, सरयांज के खनौटे की बाईं ओर मिट्टी डंपिंग साइट के ऊपर एक बड़ी चट्टान अधर में लटकी हुई है, जो किसी भी समय भारी वर्षा या सूखे में नीचे गिर सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह चट्टान किसी भी वाहन या राहगीर के लिए मौत का कारण बन सकती है, लेकिन विभागीय अधिकारी और ठेकेदार इस खतरे के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील बने हुए हैं।

स्थानीय लोगों ने इस तरह की लापरवाही पर गहरी चिंता जताई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह चट्टान गिरी तो इसे “प्राकृतिक आपदा” कहकर विभाग जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करेगा, जबकि असल कारण विभागीय लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएँ आम हो गई हैं, जहाँ निर्माण एजेंसियाँ सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर कार्य करती हैं।

स्थानीय निवासियों ने जिला प्रशासन और लोक निर्माण विभाग से मांग की है कि पिपलूघाट–सरयांज सड़क निर्माण कार्य की जांच करवाई जाए, अधर में लटकी चट्टानों को हटाया जाए और कटान क्षेत्रों में सुरक्षा दीवारें या जाल लगाकर लोगों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।