/ढेरोवाल व दभोटा मार्गों पर ट्रकों की नो एंट्री से भड़के ट्रक ऑपरेटर।

ढेरोवाल व दभोटा मार्गों पर ट्रकों की नो एंट्री से भड़के ट्रक ऑपरेटर।

उद्योगों को भी उठाना पड़ रहा भारी नुकसान

नालागढ़, 16 अक्टूबर ,
हिम नयन न्यूज/ ब्यूरो /वर्मा

औद्योगिक नगरी बीबीएन क्षेत्र को जोड़ने वाले ढेरोवाल और दभोटा मार्गों पर प्रशासन द्वारा सुबह और शाम ट्रकों की आवाजाही पर रोक लगाए जाने से ट्रक ऑपरेटरों में भारी रोष है। ऑपरेटरों का कहना है कि इस “नो एंट्री” व्यवस्था से जहां वाहन समय पर पुकार स्थलों तक नहीं पहुंच पा रहे, वहीं उद्योगों को भी समय पर ट्रक उपलब्ध न होने से भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार, नालागढ़ से बद्दी सड़क की खराब हालत के चलते ट्रक चालकों के लिए पंजाब के रास्ते नालागढ़ पहुंचना ही एकमात्र विकल्प बचा था। मगर प्रशासन ने अब इस मार्ग पर भी ट्रकों के लिए सुबह-शाम नो एंट्री लागू कर दी है, जिससे स्थिति और अधिक गंभीर हो गई है।

बद्दी-नालागढ़ ट्रांसपोर्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जिन्दू ने हिम नयन न्यूज से बातचीत में कहा कि उद्योगों को समय पर ट्रक उपलब्ध कराने के लिए नालागढ़ में सुबह और शाम पुकार की जाती है, ताकि माल की सप्लाई में देरी न हो।

उन्होंने बताया कि टीवीएस समेत कई बड़े उद्योगों से सुबह की पुकार में दर्जनों वाहनों की मांग आती है, जिसे प्रशासन के इस निर्णय के चलते पूरा कर पाना अब मुश्किल हो गया है।

जिंदू ने कहा कि ट्रक ऑपरेटर सभी प्रकार के कर नियमित रूप से अदा कर रहे हैं, इसलिए सड़क व्यवस्था का दायित्व प्रशासन और सरकार का है।

उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि यदि सरकार उन्हें टैक्स में राहत दे दे, तो ट्रक ऑपरेटर स्वयं सड़क की मरम्मत का जिम्मा उठाने को तैयार हैं।

उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्रभावित पक्षों को विश्वास में लिए बिना इस तरह के आदेश जारी करना आम जनता और उद्योगों दोनों को परेशान करने के बराबर है।

उन्होंने मांग की कि प्रशासन इस नो एंट्री नीति को तुरंत वापस ले। यदि कुछ पुलों पर ट्रैफिक जाम की आशंका है, तो वहां ट्रैफिक पुलिस तैनात कर वाहनों की आवाजाही नियंत्रित की जा सकती है, न कि पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।

अंत में उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करता, तो ट्रक ऑपरेटर यूनियन आंदोलन या संघर्ष का रास्ता अपनाने को विवश होगी।

बीबीएन के औद्योगिक क्षेत्र में यह कदम न केवल ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि समय पर कच्चा माल न मिलने से उद्योगों के उत्पादन चक्र पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।