सोलन, 16 अक्टूबर,
हिम नयन न्यूज़/ब्यूरो/वर्मा
मीडिया जगत में “बिकती खबरों” का दौर अब अखबारों के सर्कुलेशन पर भी गहरा असर डालने लगा है। जहां पहले लोग सुबह का अखबार पढ़े बिना दिन की शुरुआत नहीं करते थे, वहीं अब पाठकों का भरोसा घटता जा रहा है। इसका मुख्य कारण है — समाचारों की विश्वसनीयता पर उठते सवाल और खबरों में बढ़ती व्यापारी मानसिकता।

जानकारी के अनुसार, कुछ मीडिया संस्थानों में विज्ञापनों और निजी स्वार्थों के चलते समाचारों की प्राथमिकता बदलने लगी है। जनता से जुड़े असली मुद्दे पीछे छूट रहे हैं, जबकि प्रचार आधारित खबरें प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं। इस प्रवृत्ति ने पाठकों में निराशा और अविश्वास को जन्म दिया है।
हिमाचल के कई पत्रकार संघों और वरिष्ठ संपादकों का मानना है कि “खबर का उद्देश्य बेचने का नहीं, बल्कि सत्य को उजागर करने का होना चाहिए।” उन्होंने चेताया कि अगर यह रुझान नहीं रुका तो पारंपरिक मीडिया की विश्वसनीयता और साख को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
कई जिलों में समाचार पत्रों की बिक्री में 10 से 25 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। युवा पीढ़ी अब डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर अधिक भरोसा कर रही है, जहां उन्हें तेज, निष्पक्ष और विविध जानकारी एक ही क्लिक में उपलब्ध होती है।
पत्रकारिता की आत्मा “जनहित” में है, न कि लाभ में। जब तक मीडिया सत्य और निष्पक्षता की राह पर नहीं लौटता, तब तक “बिकती खबरें” सर्कुलेशन के साथ-साथ समाज के भरोसे को भी कमजोर करती रहेंगी।