/सहजयोग स्वास्थ्य केंद्र वाशी की विश्वभर के सहजयोगियों से विशेष अपील।

सहजयोग स्वास्थ्य केंद्र वाशी की विश्वभर के सहजयोगियों से विशेष अपील।

वाशी (नवी मुंबई), 18 अक्तूबर
हिम नयन न्यूज/ ब्यूरो/ वर्मा

सहजयोग स्वास्थ्य केंद्र, वाशी के चिकित्सकों ने विश्वभर के सहजयोगियों को एक सामूहिक संदेश जारी किया है, जिसमें सभी से आध्यात्मिक उत्थान एवं सामूहिक एकता के लिए नियमित ध्यान और चक्र शुद्धिकरण की अपील की गई है।

चिकित्सकों ने अपने संदेश में कहा कि —

“हम सभी अपनी दिव्य माता से जुड़े हुए हैं और माता ने हमें एक-दूसरे से सामूहिक रूप से जोड़ा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम सभी अपने चक्रों को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से शुद्ध करें ताकि हम अपने आत्मिक उत्थान को प्राप्त कर सकें।”

संदेश में बताया गया है कि सहस्रार तक पहुँचने और विचारशून्य अवस्था को प्राप्त करने के लिए सहजयोगी निम्न साधनाएँ अपनाएँ—

🌿 सहजयोग स्वास्थ्य केंद्र द्वारा सुझाए गए ध्यान अभ्यास

  1. प्रतिदिन फुटसोक (पैर धोना ध्यान विधि) करें।
  2. राइट स्वाधिष्ठान, लीवर और राइट आज्ञा (बाईं कनपटी) पर आइस पैक का उपयोग करें।
  3. दाएं मोलाधार चक्र की शुद्धि के लिए श्री गणेश मंत्र और श्री कार्तिकेय के 108 नाम का पाठ करें।

पुष्टि वाक्य: “श्री माताजी, आप मेरे भीतर की पवित्र निष्कलंकता हैं। कृपया मुझे निष्कलंक बनाइए।”

  1. राइट स्वाधिष्ठान के लिए: “मदर, मैं कुछ नहीं करता। श्री माताजी, वास्तव में आप ही कर्ता और भोक्ता हैं।”
  2. वॉयड (Void) की शुद्धि हेतु: “श्री माताजी, आप ही मेरी गुरु हैं।”
  3. राइट आज्ञा पर श्री बुद्ध मंत्र का जाप करें —

“धम्मं शरणं गच्छामि, बुद्धं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि।”
साथ ही लॉर्ड्स प्रेयर या “ओम हुम ख्शुम” बीज मंत्र का उच्चारण करते हुए सबको क्षमा करें।

  1. अहंकार और नकारात्मकता से मुक्ति के लिए जूता प्रहार तकनीक और श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने की सलाह दी गई है।
  2. नाभि, विशुद्धि, हृदय और सहस्रार चक्रों पर ध्यान करते हुए श्री गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करने की अनुशंसा की गई है।
  3. कमज़ोर लेफ्ट चैनल को पोषित करने के लिए दाएं और बाएं हाथ की स्थिति बदलते हुए ध्यान करने की सलाह दी गई है।

वाशी केंद्र के चिकित्सकों ने बताया कि नवी मुंबई में स्थानीय सहजयोगियों के साथ यह सामूहिक शुद्धिकरण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, और उन्होंने विश्वभर के सहजयोगियों से अनुरोध किया है कि वे भी अपने-अपने क्षेत्रों में इस अभ्यास को सामूहिक रूप से प्रारंभ करें।

अंत में उन्होंने कहा —

“हम सब मिलकर अपनी माताजी श्री निर्मला देवी को प्रसन्न कर सकते हैं और सहजयोग परिवार में प्रेम, एकता व शांति स्थापित कर सकते हैं।”