रेणुका सिंह का आज खेलना ज़रूरी क्यों?
सोलन 19 अक्टूबर,
हिम नयन न्यूज/ ब्यूरो/मनमोहन सिंह
मौजूदा महिला विश्वकप में भारत आज ‘करो या मरो’ की स्थिति में है। अब तक खेले चार मैचों में से उसने दो मैच जीते और दो में उसे हार का सामना करना पड़ा। यहां देखना भी ज़रूरी है कि भारत ने अपने पहले दो मैच श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी अपेक्षाकृत कमज़ोर टीमों के खिलाफ जीते हैं। अगले दो मैच पिछले चैंपियन ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन तीन विकेट से हारे।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तो 330 का मज़बूत स्कोर भी हम नहीं बचा पाए। उनकी कप्तान और सलामी बल्लेबाज हेली ने शानदार 142 रन की शानदार पारी खेल भारत की आशाओं पर पानी फेर दिया।
इसके अलावा दूसरी ओपनर लिच फील्ड (40) और पैरी (47) ने उनके लिए जीत की राह बना दी। निचले क्रम में ए गार्डनर ने महत्वपूर्ण 46 गेंदों में 45 रन बना कर जीत निश्चित कर दी।
इसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी ऋचा घोष के 77 गेंदों पर बने शानदार 94 रन और स्नेह राणा के 24 गेंदों पर बने 33 रनों की बदौलत भारत 251 बना सका।
इन दोनों के बीच आठवें विकेट के लिए 88 साझेदारी हुई। लेकिन यह स्कोर काफी नहीं रहा। टीम की कप्तान और सलामी बल्लेबाज वॉल्वर्ट ने 111 गेंदों 70 रन और नंबर सात की बल्लेबाज ट्रियोन ने 66 गेंदों में 49 रन बना कर मैच अपने पक्ष में मोड़ लिया।
हालांकि एक समय 35.5 ओवर में दक्षिण अफ्रीका ने अपने छह विकेट 142 रन पर गंवा दिए थे और अगले 14.1 ओवर में उसे 111 रन चाहिए थे।
भारत मजबूत स्थिति में था लेकिन भारतीय गेंदबाज कमज़ोर साबित हुए और एन डी क्लर्क ने आठ चौकों और पांच छक्कों की बदौलत मात्र 54 गेंदों में 84 रन की बेहतरीन पारी खेल अपनी टीम को विजय दिलादी।
इन दोनों मैचों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि टीम की हार का कारण कमज़ोर गेंदबाजी रही है। सबसे पहले तो अपनी बल्लेबाजी को अंत तक मजबूती देने के लिए केवल पांच ही गेंदबाज खिलाए गए, फिर केवल दो तेज़ गेंदबाजों को रखा गया।
इनमें भी अमनजोत कौर एक गेंदबाजी हरफन मौला खिलाड़ी के रूप में शामिल किया गया। इसके अलावा केवल क्रांति गौड़ को एक तेज़ गेंद बाज के रूप में खिलाया गया।
गौड़ ने इन दो मैचों में 18 ओवर फेंके और 142 रन दे कर दो विकेट लिए। इस तरह उसने प्रति ओवर 7.9 रन दिए। और प्रति विकेट देखा जाए तो 71 बनते हैं।
दूसरी तेज़ गेंदबाज अमनजोत कौर इन दो मैचों में 14.5 ओवर में 128 रन दे कर तीन विकेट ले पाई।
इस तरह उसने प्रति ओवर लगभग 8.5 किए। अगर विकेट का हिसाब लगाएं तो प्रति विकेट लगभग 43 बनते हैं।
अब बात आती है कि इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के खिलाफ मैचों में क्या किया जाए। सबसे पहले तो अंत तक बल्लेबाजी रखने का मोह आपको छोड़ना होगा।
अगर 330 स्कोर भी आप बचा नहीं सकते तो समस्या बल्लेबाजी में नहीं गेंदबाजी में है।
इस कारण टीम में रेणुका सिंह का स्थान बनता है। कम से कम इंग्लैंड के खिलाफ तो ज़रूरी है।
उसके बल्लेबाज अंदर गेंदों से परेशान रहते हैं और रेणुका की इन स्विंगर्स कमाल की हैं। इसके साथ ही वो टेलेंडर्स को आउट करने में भी कारगर साबित हो सकती है। अगर और गौर करें तो देखेंगे कि इंग्लैंड के अधितर बैटर ‘स्क्वेयर ऑफ द विकेट’ खेलते हैं। इस वजह से थोड़ी छोटी लंबाई की गेदों पर प्वाइंट या स्क्वेयर लेग पर अच्छे रन बटोर लेते हैं। रेणुका सिंह की गेंद की लंबाई गुड लैंग्थ और लाइन ऑफ स्टंप के आसपास रहती है। इस कारण उसे सीधा खेलने पड़ता है।
इस तरह की गेंदबाजी फिलहाल भारतीय टीम में और किसी की नहीं है। अगर टीम से एक बैटर निकाल कर रेणुका सिंह को लिया जाए तो हालात बदल सकते हैं।
जहां तक स्पिन गेंदबाजी की बात है तो दीप्ति शर्मा को अपनी लाइन मिडिल और लेग स्टंप से हटा कर ऑफ और मिडिल पर लानी होगी। बल्लेबाज को फ्रंट फूट पर खेलने को मजबूर करना पड़ेगा।
सीधा शॉट लगता है तो लगे। पर क्रॉस बैट का शॉट नहीं लगना चाहिए। हर स्पिनर के लिए ज़रूरी है कि बल्लेबाज उसे बैक फूट पर न खेल सके। देखते हैं टीम प्रबंधन कैसे सोचता है। ध्यान में रहे कि खराब गेंदबाजी का कोई कुछ नहीं कर सकता।