नालागढ़, 27 अक्तूबर,
हिम नयन न्यूज़/ ब्यूरो/ वर्मा
औद्योगिक नगरी बीबीएन के नालागढ़ के खेड़ा में चल रही श्रीराम कथा के तीसरे दिन दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा जी के प्रेरणादायक प्रवचनों ने वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।

उन्होंने श्रीराम जन्म प्रसंग का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि जीवन का उद्धार तभी संभव है जब मनुष्य प्रभु श्रीराम की शरण ग्रहण करता है। भले ही मन कभी-कभी भटक जाए, परंतु राम नाम का स्मरण उसे पुनः सत्य और शांति के मार्ग पर ले आता है।

दीदी मां ने कहा कि जब तक शिव और शक्ति का मिलन नहीं होता, तब तक साधना पूर्ण नहीं मानी जाती। उन्होंने बताया कि लोग ईश्वर की शरण प्रायः मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लेते हैं, परंतु जब इच्छाएँ पूरी भी हो जाती हैं, तब भी मन तृप्त नहीं होता। उन्होंने कहा — “जो व्यक्ति अभावों में भी संतुलित और प्रसन्न रहता है, वही सच्चे अर्थों में आध्यात्मिक जीवन जीता है।”

वात्सल्य की व्याख्या करते हुए साध्वी ऋतम्भरा जी ने कहा कि जैसे गाय अपने नवजात बछड़े के शरीर की गंदगी को जीभ से साफ कर उसे निर्मल बनाती है, वैसे ही मां का निःस्वार्थ प्रेम ही सच्चा वात्सल्य कहलाता है।

कथा के दौरान क्षेत्र की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रमुखों और कई राजनीतिक दलों के नेता भी उपस्थित रहे।

इस मौके पर प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक जलपान की व्यवस्था भी की गई है।

भक्तिमय वातावरण में दीदी मां के प्रवचनों ने श्रद्धालुओं के हृदयों में गहरी छाप छोड़ी और कथा स्थल पर “जय श्रीराम” के जयघोष गूंजते रहे।










