महिला विश्वकप क्रिकेट
सोलन 4 नवम्बर
हिम नयन न्यूज/ ब्यूरो/मनमोहन सिंह
भारत की बेटियां आज विश्वविजेता हैं। कहें तो महिला क्रिकेट की बादशाहत और उसका ताज आज हमारी बेटियों के सर है। रिकॉर्ड की किताबों में यह हमेशा के लिए दर्ज हो गया। लेकिन खेलों की दुनियां में केवल दो और दो चार ही नहीं होते। खेलों के मुकाबलों में केवल जीत या हार ही नहीं होती। इनमें कुछ ऐसा भी होता है जो कभी किताबों तो दर्ज नहीं होता पर लोगों के दिलों में छा जाता है।

वह है खेल भावना। वो भावना जो किसी खिलाड़ी या टीम की खेल के दौरान या खेल खत्म होने के बाद, मैदान में या मैदान के बाहर झलकती है। कोई टीम अपनी जीत या हार को किस तरह से लेती है यही उसकी खेल भावना को दर्शाता है।
खिलाड़ी की तहज़ीब इसी से पता चलती है। लेकिन इस भावना को वही व्यक्ति समझ सकता है जिसने कभी किसी भी खेल मैदान में पसीना बहाया हो, कोच की सख्ती सही हो।
टीवी के आगे बैठ टीका टिप्पणी करने वाले इस भावना और खिलाड़ियों के आपसी व्यक्तिगत रिश्तों को नहीं समझ सकते। असल में पूरी दुनिया में खेलों और खिलाड़ियों की एक अलग दुनिया है। जो बाकी दुनियां से बिल्कुल अलग है।
 खेलों की दुनियां में प्रतिस्पर्धा होती है दुश्मनी नहीं। अपने प्रतिद्वंद्वी के खेल की तारीफ खिलाड़ी अक्सर करते हैं। एक दूसरे से सीखते और सिखाते हैं। वहां धर्म, रंग, भाषा, राज्य, ज़िला, गांव कोई मायने नहीं रखते।
भारत की विश्वकप में जीत के बाद जिस तरह दक्षिण अफ्रीका की खिलाड़ियों ने अपने आंसू पोंछ कर भारतीय खिलाड़ियों को गले लगाया, उन्हें मुबारकबाद दी वह दृश्य किसी रिकॉर्ड बुक में तो नहीं पर दर्शकों के दिलों में ज़रूर दर्ज हो गए। बहुत ही भावुक पल थे। सभी की आँखें नम थीं। 
एक तरफ खुशी के अश्क बह रहे थे दूसरी तरफ हार का दुख झलक रहा था। पर एक दूजे की बाहों में बाहें डाले खिलाड़ी जिस तरह चल रहे थे वह क्रिकेट की जीत थी, वह खेल भावना की जीत थी, और वह विश्वबन्धुत्व की जीत थी। मैच के बाद टूर्नामेंट की सबसे अधिक रन बनाने वाली दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वॉल्वार्ड ने जिस खुले मन से भारत की टीम की तारीफ की, और माना कि भारत की टीम को भारत में हराना मुमकिन नहीं उसने सभी का दिल जीत लिया।
हालांकि लौरा वॉल्वार्ड एक ऐसी बल्लेबाज है जिसने सेमीफाइनल और फाइनल दोनों मैचों में शतक बनाए। आज के समय में अगर उसे विश्व की सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज कहा जाए तो गलत न होगा।
कुछ भी हो इस विश्व कप ने महिला क्रिकेट को नए आयाम दिए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें भाग लेने वाली आठ टीमों में से चार तो एशिया से थी यूरोप से एक, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप से दो और अफ्रीका से एक। 
पूरे एशिया में महिला क्रिकेट का भविष्य उज्वल है। जो भी हो दक्षिण अफ्रीका ने चाहे कप न जीता हो पर दिल ज़रूर जीत लिए।

    
        








