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औद्योगिक नगरी बीबीएन में अल्ट्रासाउंड सेंटरों की भरमार

अवैध भ्रूण लिंग जांच पर उठ रहे सवाल।

नालागढ़ (बी बी एन) 05 नवंबर
हिम नयन न्यूज़/ ब्यूरो/ वर्मा

औद्योगिक नगरी बीबीएन (बरोटीवाला–बद्दी–नालागढ़ क्षेत्र) में बीते कुछ वर्षों से महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करने वाले डायग्नोस्टिक सेंटरों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। सरकारी अस्पतालों की सीमित सुविधाओं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण अब ये निजी सेंटर “कुकुरमुत्तों की तरह” जगह-जगह पनप रहे हैं।

लोगों की माने तो इन डायग्नोस्टिक सेंटरों में लिंग जांच और अवैध भ्रूण हत्या की संभावना बनी हुई है। हालाँकि, ठोस प्रमाण न मिलने के कारण संबंधित विभागों द्वारा कार्रवाई करना कठिन हो रहा है।

जानकारी के अनुसार, कई केंद्रों में भ्रूण का लिंग गुप्त रूप से अल्ट्रासाउंड टेबल पर ही बताया जा रहा है, जिसमें पीसीपीएनडीटी (प्री-कंसेप्शन और प्री-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक) अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इन सेंटरों में इस तरह के कामों को आने वाले पैसे और सिफारिश वालों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि सामान्य मरीजों को घंटों इंतज़ार के बाद भी संतोषजनक सेवा नहीं मिल पाती। वहीं, सरकारी अस्पतालों की हालत पहले से ही दयनीय है — गायनोकॉलॉजिस्ट का पद रिक्त है और एक्स-रे मशीन वर्षों पुरानी दान की हुई मशीन से काम चलाया जा रहा है, जो मरीजों की अधिकता के कारण बार-बार खराब हो जाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि क्षेत्र में लिंग अनुपात असंतुलन बढ़ने का एक बड़ा कारण यही सेंटर हैं, जिनका दुरुपयोग भ्रूण लिंग निर्धारण के लिए किया जा रहा है। लेकिन, इन पर कार्रवाई करना आसान नहीं है, क्योंकि गुप्त तरीके से चल रहे इस अवैध धंधे को पकड़ने के लिए न तो स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त संसाधन हैं, और न ही पुलिस के पास कोई विशेष रणनीति है।

बीबीएन क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे ऐसे सेंटरों के कारण समाज में लिंग असंतुलन की समस्या गहराती जा रही है, जबकि संबंधित विभाग मौन भूमिका में नजर आ रहे हैं।

जनता की मांग है कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन मिलकर इन सेंटरों की सघन जांच करें, ताकि भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके।