नालागढ़ 7 नवम्बर,
हिम नयन न्यूज़/ ब्यूरो/ विशेष रिपोर्ट
औद्योगिक नगरी बीबीएन का नालागढ़ नागरिक अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां से एक और चिकित्सक का स्थानांतरण हो गया है और विडंबना यह है कि उनकी जगह अब तक कोई नया डॉक्टर नहीं आया है । ऐसा प्रतीत होता है कि अस्पताल की व्यवस्था अब पूरी तरह भगवान भरोसे चल रही है।
कभी औद्योगिक क्षेत्र का गौरव माने जाने वाला यह अस्पताल अब डॉक्टरों की कमी, खाली पदों और राजनीतिक दबावों से जूझ रहा है। शल्य चिकित्सक ,रेडियोलॉजिस्ट, एम.डी. चिकित्सक और अन्य विशेषज्ञ पद लंबे समय से रिक्त हैं।

परिणामस्वरूप मरीजों को मजबूर होकर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जहां इलाज के नाम पर मनमाने दाम वसूले जाते हैं। नालागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की ओपीडी में रोज सैकड़ों मरीज आते हैं, लेकिन डॉक्टर गिनती के हैं, और जो हैं, वे भारी दबाव में काम कर रहे हैं।
सबसे पीड़ादायक बात यह है कि जो चिकित्सक ईमानदारी से ड्यूटी से भी बढ़ कर जनता की सेवा करते हैं, उन्हीं पर किसी अदृश्य शक्ति का दबाव बना दिया जाता है।
हाल ही में स्थानांतरित ऑर्थोपेडिक डॉक्टर इसका ताजा उदाहरण बताया जा रहा हैं। आर्थोपेडिक्स ओपीडी में बढ़ती मरीजों की संख्या और उनके समर्पित कार्य ने ही उनके खिलाफ माहौल तैयार कर दिया। किसी अदृश्य प्रभावशाली ताकत ने उन्हें हटवाने में सफलता पाई और नालागढ़ की जनता एक और डॉक्टर से वंचित हो गई।
डॉक्टर पर आरोप लगाया गया कि वे बाजार से दवाइयां लिखते हैं और कमीशन लेते हैं, लेकिन क्या यह सच्चाई थी या सिर्फ किसी राजनीतिक दबाव का बहाना? विरोध जनता का नहीं, बल्कि उन्हीं अदृश्य ताकतों का था जो जनसेवा को राजनीति में बदल देती हैं। आज वही ताकतें चुपचाप मुस्कुरा रही हैं, जबकि जनता को एक बार फिर परेशानी झेलनी पड़ रही है।

दुख इस बात का है कि जिन लोगों ने विरोध में आवाज़ उठाई, वे अब अपने परिवारों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में करवाएंगे, पर आम जनता फिर सरकारी अस्पतालों की लाचारियों के बीच मरहम तलाशती रहेगी। सवाल यह है कि कब तक नालागढ़ की जनता डॉक्टरों की कमी और राजनीति की साजिशों के बीच पिसती रहेगी?

आज जरूरत है उस नेतृत्व की जो डॉक्टरों से काम ले, न कि उनका तबादला करे। सरदार हरी नारायण सिंह जैसे राजनेता, जिन्होंने कभी अस्पताल को ऊंचाइयों तक पहुंचाया था, अब सिर्फ यादों में रह गए हैं। जनता आज फिर एक ऐसे नेता की प्रतीक्षा कर रही है जो नालागढ़ अस्पताल को राजनीति से नहीं, सेवा भावना से चलाए।
नालागढ़ के मरीज अब सिर्फ इलाज नहीं, इंसाफ चाहते हैं। वे एक ऐसे प्रशासन की उम्मीद कर रहे हैं जो डॉक्टरों के स्थानांतरण नहीं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे।
क्योंकि जब अस्पतालों से डॉक्टर चले जाते हैं, तो केवल इलाज नहीं रुकता — जनता की उम्मीदें भी दम तोड़ देती हैं।










