/पी.जी.आई.एम.ई.आर. के डॉ. धंडापानी ने हासिल की ऐतिहासिक उपलब्धि

पी.जी.आई.एम.ई.आर. के डॉ. धंडापानी ने हासिल की ऐतिहासिक उपलब्धि

2000 एंडोस्कोपिक मिनिमली इनवेसिव न्यूरोसर्जरी सफलतापूर्वक पूर्ण

चंडीगढ़, 14 अक्तूबर,
हिम नयन न्यूज़ /ब्यूरो /वर्मा।

पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) चंडीगढ़ के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एस.एस. धंडापानी ने चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है,जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ (ब्रेन एवं स्पाइन) से संबंधित 2000 एंडोस्कोपिक मिनिमली इनवेसिव न्यूरोसर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की हैं। यह मील का पत्थर न केवल संस्थान बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है।

न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एंडोस्कोपिक और कीहोल मिनिमली इनवेसिव तकनीकें आज चिकित्सा जगत में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। इन उन्नत तकनीकों के माध्यम से अब सर्जरी अधिक सटीक, सुरक्षित और तेज़ रिकवरी वाली हो गई है।

डॉ. धंडापानी के नेतृत्व में पी.जी.आई.एम.ई.आर. में इन तकनीकों को अपनाने और देशभर में सिखाने का कार्य किया गया है।

एचडी इमेजिंग और इन्ट्रा-ऑपरेटिव नेविगेशन से अत्यधिक सटीकता

2000 सर्जरी में पिट्यूटरी ट्यूमर, क्रेनियोफैरिन्जियोमा, स्कल बेस मेनिन्जियोमा, हाइड्रोसेफलस, स्पाइनल ट्यूमर और डिस्क डिजीज जैसे जटिल मामलों को शामिल किया गया।


डॉ. धंडापानी की टीम में डॉ. सुषांत और डॉ. रिजुनीता (नाक के माध्यम से एंडोस्कोपिक सर्जरी), डॉ. सुषांत और डॉ. चंद्रशेखर (वॉल्ट के माध्यम से सर्जरी) तथा डॉ. चंद्रशेखर (स्पाइनल सर्जरी) का विशेष योगदान रहा।

डॉ. धंडापानी ने अब तक 215 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और अनेक विश्व में पहली बार की गई सर्जरी तकनीकों का विकास किया है। इनमें प्रमुख हैं –

16 माह के बच्चे में पहली बार एंडोस्कोपिक नाक सर्जरी द्वारा विशाल क्रेनियोफैरिन्जियोमा का उपचार

विशाल स्पाइनल इंट्राड्यूरल ट्यूमर का एंडोस्कोपिक उपचार

जायंट पीनियल ट्यूमर की एंडोस्कोपिक-असिस्टेड सर्जरी

एंटीरियर स्पाइनल मेनिन्जियोमा की मिनिमली इनवेसिव सर्जरी

McCune-Albright सिंड्रोम में विशाल पिट्यूटरी ट्यूमर का एंडोस्कोपिक उपचार

डॉर्सल स्पॉन्डीलोप्टोसिस के लिए न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी

जायंट ब्रेन ट्यूमर के लिए नवीन कीहोल तकनीक

सम्मान और नेतृत्व

डॉ. धंडापानी ने वॉशिंगटन और बॉस्टन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एंडोस्कोपिक एवं कीहोल सर्जरी पर व्याख्यान दिए हैं तथा कई प्रतिष्ठित न्यूरोसर्जरी पुस्तकों में अध्याय भी लिखे हैं।
वे न्यूरोएंडोस्कोपी सोसाइटी ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष तथा स्कल बेस सर्जरी सोसाइटी के कार्यकारी सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनका यह योगदान भारतीय न्यूरोसर्जरी को विश्व स्तर पर नई पहचान दिला रहा है।