बद्दी में कहा “भविष्य में भारतीय मानक ही बनेंगे वैश्विक मानक”
बद्दी, 15 अक्तूबर ,
हिम नयन न्यूज़ /ब्यूरो/ वर्मा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने बुधवार को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) परवाणू, बद्दी में विश्व मानक दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने भारत के मानक पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाने के लिए “मानक उत्कृष्टता हेतु पाँच सूत्रीय व्यावहारिक एजेंडा” प्रस्तुत किया और उपभोक्ताओं से “प्रमाणित, चिह्नित और सुरक्षित उत्पादों की माँग करने” का आह्वान किया।

गुणवत्ता में भारत की प्रगति
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले भारत में केवल 14 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) लागू थे जिनमें 106 उत्पाद शामिल थे। लेकिन पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार की नीति, नियत और दूरदृष्टि के परिणामस्वरूप आज 187 QCO के तहत 770 उत्पाद अनिवार्य बीआईएस प्रमाणन के अधीन हैं।

उन्होंने कहा कि यह बदलाव “घटिया गुणवत्ता को सहन करने” से “उत्कृष्टता को अधिकार मानने” की दिशा में भारत की सोच में आए परिवर्तन का प्रतीक है।
मानक उत्कृष्टता के लिए पाँच सूत्रीय एजेंडा
अनुराग ठाकुर ने भारत को ‘शून्य दोष, शून्य प्रभाव’ विनिर्माण उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करने हेतु पाँच प्रमुख बिंदुओं पर आधारित व्यावहारिक रोडमैप प्रस्तुत किया:
1️⃣ एमएसएमई और स्टार्टअप तक मानकों की पहुँच बढ़ाना:
स्थानीय प्रशिक्षण, व्यावहारिक मार्गदर्शन और त्वरित मूल्यांकन के माध्यम से छोटी इकाइयों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि परवाणू स्थित बीआईएस केंद्र उद्योग और मानक संस्थान की साझेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण बन सकता है।
2️⃣ मानकों को स्थिरता और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी से जोड़ना:
उन्होंने कहा कि मानकों में जीवनचक्र मूल्यांकन, पुनर्चक्रण क्षमता और ऊर्जा दक्षता को शामिल कर “हरित विकास” को मापनीय और क्रियान्वित बनाया जाए।
3️⃣ शिक्षा प्रणाली में मानक साक्षरता को शामिल करना:
उन्होंने विश्वविद्यालयों, प्रबंधन संस्थानों और पॉलीटेक्निकों में मानक साक्षरता को बढ़ावा देने का सुझाव दिया ताकि युवा पेशेवर कार्यस्थल पर गुणवत्ता संस्कृति को अपनाएं।
4️⃣ तेज़, डिजिटल और पारदर्शी प्रमाणन व्यवस्था विकसित करना:
उन्होंने बताया कि डिजिटल साधनों और स्थानीय प्रयोगशालाओं के माध्यम से प्रमाणन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, तीव्र और विश्वसनीय बनाया जा सकता है, जिससे भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम और मज़बूत होगा।
5️⃣ स्थानीय आवश्यकताओं की रक्षा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सामंजस्य बढ़ाना:
उन्होंने उल्लेख किया कि वर्तमान में भारत की आईएसओ और आईईसी मानकों के साथ 94% सामंजस्यता है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वैश्विक स्तर पर भारतीय उत्पादों को मान्यता मिले और निर्यातकों को कम बाधाओं का सामना करना पड़े।
“ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट” है भारत की गुणवत्ता पहचान
ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की भावना ही “ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट” पर आधारित है — अर्थात् हमारे उत्पादों में कोई दोष न हो, वे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल हों, तथा पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव न डालें।
उन्होंने बताया कि इसी दृष्टिकोण के कारण आज भारत में 23,500 से अधिक मानक लागू हैं, जिससे भारतीय उत्पाद वैश्विक गुणवत्ता मापदंडों से आगे निकलने की दिशा में अग्रसर हैं।
उद्योग, स्टार्टअप और उपभोक्ताओं से विशेष अपील
ठाकुर ने उद्योग जगत से कहा कि “मानकों में निवेश, विश्वास में निवेश है।”
उन्होंने नवप्रवर्तकों से आग्रह किया कि “मानकों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन करें ताकि आपके नवाचार वैश्विक बाज़ारों तक तेज़ी से पहुँचें।”
साथ ही नागरिकों से अपील की — “प्रमाणित, चिह्नित और सुरक्षित उत्पादों की माँग करें। जब उपभोक्ता गुणवत्ता पर ज़ोर देते हैं, तो बाज़ार उत्कृष्टता से प्रतिक्रिया देता है।”
भारत बनेगा गुणवत्ता और मानक उत्कृष्टता का वैश्विक केंद्र
कार्यक्रम के समापन पर ठाकुर ने कहा कि भारत अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।
एमएसएमई और स्टार्टअप भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं — जिनमें 26.77 करोड़ लोग कार्यरत हैं।
उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मानक उत्कृष्टता, नवाचार और उपभोक्ता जागरूकता तीनों ही आवश्यक स्तंभ होंगे।
ठाकुर ने मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए एआई आधारित “जागृति” पॉडकास्ट कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने उपभोक्ताओं में गुणवत्ता और उचित मूल्य की माँग करने की संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
उन्होंने कहा — “भारत अब केवल वैश्विक विकास की गति के साथ नहीं चल रहा, बल्कि गुणवत्ता और सुरक्षा के नए मानक स्थापित कर रहा है। आने वाले समय में, भारतीय मानक ही बनेंगे वैश्विक मानक।”