कर्मचारियों में असंतोष गहराया
शिमला, 18 अक्तूबर ,
हिम नयन/ न्यूज /ब्यूरो।
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मंत्रियों और विधायकों के वेतन एवं भत्तों में भारी बढ़ोतरी किए जाने के निर्णय से आम जनता और कर्मचारियों में गहरा रोष व्याप्त है।
सरकार ने हाल ही में नियमों में संशोधन कर मुख्यमंत्री का वेतन ₹3.40 लाख प्रतिमाह और विधायकों का वेतन ₹2.97 लाख प्रतिमाह कर दिया है।

नए प्रावधान के तहत अब हर पांच वर्ष में वेतन स्वतः बढ़ेगा, जिससे माननीयों के भविष्य को वित्तीय दृष्टि से सुरक्षित कर दिया गया है। इस निर्णय को लेकर प्रदेशभर में कर्मचारियों और पेंशनर्स में असंतोष देखा जा रहा है।
कर्मचारी और सेवानिवृत कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार ने जहां अपने लिए वेतन बढ़ोतरी को प्राथमिकता दी, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों और पेंशनर्स के करोड़ों रुपये के भत्ते और एरियर अभी तक लंबित पड़े हैं। ऐसे में यह फैसला “दोहरी नीति का उदाहरण” बन गया है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस सरकार उन्हीं कर्मचारियों के समर्थन से सत्ता में आई थी, परंतु अब उन्हीं कर्मचारियों की उपेक्षा से सरकार और कर्मचारी वर्ग के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
जनमानस में भी इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं और आलोचना सामने आ रही हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब प्रदेश आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, तब माननीयों के वेतन में इतनी बड़ी वृद्धि किस आधार पर की गई।
सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक गलियारों में भी इस निर्णय से भविष्य में जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच बढ़ती दूरी को लेकर चिंता जताई जा रही है। आम जनता में यह भावना पनप रही है कि “माननीयों ने अपना भविष्य सुरक्षित कर लिया, लेकिन जनता और कर्मचारियों का वर्तमान अधर में छोड़ दिया।”
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह असंतोष इसी तरह बढ़ता गया, तो आने वाले समय में यह किसी बड़े जन आंदोलन का रूप भी ले सकता है।