स्पिन गेंदबाजों का बड़ा हथियार ‘फ्लाइट’
सोलन 22 अक्तूबर
हिम नयन न्यूज/ ब्यूरो/मनमोहन सिंह
चलो आज बात कर लेते हैं स्पिन गेंदबाजी की। भारत में हमेशा से स्पिन गेंदबाजी का बोलबाला रहा है। बालू गुप्ते, वीनू मांकड़, बापू नाडकर्णी, भगवत चंद्रशेखर, इरापल्ली प्रसन्ना, वेंकटराघवन, बिशन सिंह बेदी, अनिल कुंबले, इनके अलावा और भी कई नाम हैं जो इनमें जोड़े जा सकते हैं।
कपिलदेव से पहले देश में तेज़ गेंदबाज थे ही नहीं। मुझे अच्छी तरह याद है उस समय भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से दो ओवर आबिद अली और एक ओवर एकनाथ सोलकर किया करते थे। ये दोनों तेज़ गेंदबाजी की औपचारिकता पूरी कर लेते थे। उसके बाद बेदी, प्रसन्ना, वेंकट, चंद्रशेखर वगैरा कमान संभाल लेते।

इनमें से प्रसन्ना और बेदी दो ऐसे गेंदबाज थे जो बेजान पिचों पर भी बल्लेबाजों के नाक में दम कर रखते थे। उन पिचों पर भी जिन पर गेंद बिल्कुल भी नहीं घूमती थी। कारण था ‘फ़्लाइट’, और फ्लाइट में बदलाव। ये दोनों फ्लाइट में बदलाव कर के बल्लेबाज को गलती करने पर मजबूर कर देते। बेदी के बारे में कहा जाता है- ‘ईजी एक्शन, टीजिंग फ्लाइट’ मतलब यह कि उनका एक्शन बड़ा आसान सा होता था पर फ्लाइट में इतनी विविधता होती कि बल्लेबाज कुछ समझ नहीं पाता था।
इसके साथ ही उनकी लाइन और लैंग्थ पूरी तरह उनके नियंत्रण में रहती। कहते हैं कि बिशन सिंह बेदी एक ही एक्शन से चार तरह की गेंदें फेंक सकते थे।
मौजूदा महिला विश्वकप में भारत का मुख्य हथियार उसकी स्पिन गेंदबाजी है। पर वह पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही। कारण है पिच से मदद न मिलाना।
ऑस्ट्रेलिया की टीम 330 रन के हमारे स्कोर को पार कर जाती है। इंग्लैंड 288 रन बना देता है। भारतीय स्पिन गेंदबाज अभी तक लगातार रक्षात्मक गेंदबाजी करते रहे हैं। मैने किसी गेंदबाज को फ्लाइट करते हुए नहीं देखा।
अधिकतर गेंदें पूरी तरह फ्लैट गिर रही हैं। बल्लेबाज आराम से बैकफुट पर स्क्वेयर कट या पुल शॉट लगा कर रन बटोर रहे हैं। उन्हें फ्रंट फुट खेलने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा। इसके अलावा हमारे ऑफ स्पिनर अपनी लाइन मिडिल और लेग स्टंप पर रख रहे हैं। इसमें उन्हें एक दो सफलता भी मिली हैं लेकिन अधिकतर मामलों में बल्लेबाज आसानी से रन बटोर रहे हैं। भारत के लिए ज़रूरी है कि बाकी बचे दो मैचों में स्पिन गेंदबाज गेंदों को पूरी फ्लाइट दें, बल्लेबाज को आगे खींचें, और लॉन्ग ऑन या लोगऑफ पर कैच करवा दें, या फिर ऋचा घोष को स्टंपिंग का अवसर प्रदान करें।
ध्यान रहे कि अगर विपक्षी टीम 250-280 तक के स्कोर का पीछा कर रही है तो आप उसे आउट करके ही जीत सकते हैं उसे रोक नहीं सकते।
तो भारतीय स्पिन गेंदबाजों को अपनी फ्लाइट, गति, लाइन और लैंग्थ में थोड़े थोड़े बदलाव कर के बल्लेबाज को गलती करने पर मजबूर करना होगा।
स्पिन के खिलाफ स्वीप शॉट काफी कारगर साबित होता है, तो उसे रोकने के लिए भी गेंद की लंबाई, गति और उड़ान (फ्लाइट) कारगर साबित होगी।