/गुरू नानक देव जी के जन्म दिवस पर पंजाब के कपूरथला निवासी समाजसेवी बिमल ऐरी के विचार व बधाई संदेश ।

गुरू नानक देव जी के जन्म दिवस पर पंजाब के कपूरथला निवासी समाजसेवी बिमल ऐरी के विचार व बधाई संदेश ।

पंजाब (कपूरथला )8 नवम्बर,
हिम नयन न्यूज /ब्यूरो।


गुरू नानक देव जी का जन्म पर्व पंजाब तथा पूरी दुनिया में हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है सिख महजब को मानने वालो के अलावा हिन्दुओ में इस पर्व का विशेष महत्व है । पंजाब के कपूरथला निवासी समाजसेवी बिमल ऐरी ने इस विशेष पर्व पर सभी को बधाई दी है और गुरू नानक देव जी के बारे में कुछ पंक्तियां भी सांझी की है।

उन्होने बताया कि गुरु नानक देव जी का जन्म आधुनिक पाकिस्तान के लाहौर के पास तलवंडी में जिसे अब ननकाना साहब कहा जाता है एक हिन्दू बेदी परिवार में हुआ था । वेदों के ज्ञाता वंश को बेदी कहा जाता था।गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था. गुरू नानक देव जी की बहन का नाम नानकी था. गुरु नानक देव जी का मन बचपन से ही अध्यात्म की तरफ ज्यादा था. वह सांसारिक सुख से परे रहते थे। गुरु नानक जी ने बचपन से ही रूढ़िवादिता के विरुद्ध संघर्ष की शुरुआत कर दी थी।वे धर्म के ठेकेदारों को उनकी खामियां बतलाने के लिए अनेक तीर्थस्थानों पर पहुंचे और लोगों से धर्मांधता से दूर रहने का आग्रह किया।
गुरू नानक देव जी के समय देश मुग़लों शासकों के आतंक से प्रभावित था। उन दिनों गुरू नानक देव जी ने लोगो में धर्म अkधारित भेद भाव मिटाने की कोशिश की और जात पात के विरूद्ध लोगों में जागृति पैदा की साथ ही समाज से पाखंडों को दूर करने के लिए आवाज उठाई।गुरू नानकदेव जी ने अपनी शिक्षा से लोगों में एकता और प्रेम को बढ़ावा दिया। गुरू नानक देव जी ने एक ईश्वर अर्थात वाहे गुरू की उपासन का प्रचार किया। भारत के विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगो में इनका बहुत प्रभाव पड़ा।

बिमल ऐरी ने बताया कि जपुजी साहिब गुरू जी की अनमोल रचनाओं में से है जिसमें उन्हेने निराकार ईश्वर की बहुत विस्तार से और बहुत सुन्दर ढंग से व्याख्या की।

ੴ सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥

अर्थ – एक ओंकार (ईश्वर एक है), सतनाम (उसका नाम ही सचा है), करता पुरख (सबको बनाने वाला), अकाल मूरत (निराकार), निरभउ (निर्भय), निरवैर (किसी का दुश्मन नहीं), अजूनी सैभं (जन्म-मरण से दूर) और अपनी सत्ता कायम रखने वाला है। ऐसे परमात्मा को गुरु नानक जी ने अकाल पुरख कहा, जिसकी शरण गुरु के बिना संभव नहीं।
सच खंड में निराकार परमात्मा का निवास है। वह सृष्टि की रचना करके उसकी देखभाल करता है और अपनी कृपा दृष्टि से निहाल भी करता है। वहाँ असंख्य खंड, मंडल और ब्रह्माण्ड हैं। यदि कोई कथन करना चाहे तो उसके अंत का कोई अंत नहीं है। वहाँ असंख्य लोकों के लोगों का आकार है।
उन्होने बताया कि आज गुरू नानक देव जी की शिक्षाओं की समाज को बहुत आवश्यकता है।
गुरुनानक देव जी की दस शिक्षाएं :-

  1. ईश्वर एक है।
  2. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
  3. ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है।
  4. ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
  5. ईमानदारी से और मेहनत कर के उदरपूर्ति करनी चाहिए।
  6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
  7. सदैव प्रसन्न रहना चाहिए. ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
  8. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
  9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
  10. भोजन शरीर को ज़िंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।
    इन दस शिक्षाओ को मानने वाले सच्चे सिख कहलाते है ।

उन्होने आवाहन किया कि सभी लोगो को इन शिक्षाओ का पालन करना चाहिए जिस से भावी समाज भी दिशा विहीन न हो कर सही मार्ग पर चलेगा ।