/आधारशिला साहित्यम ने प्रोफेसर रणजोध की कहानी ‘नलके-वाली’ को चंडीगढ़ में किया सम्मानित

आधारशिला साहित्यम ने प्रोफेसर रणजोध की कहानी ‘नलके-वाली’ को चंडीगढ़ में किया सम्मानित

नालागढ़ 6 जनवरी,
हिम नयन न्यूज/ब्यूरो/नयना वर्मा

आधारशिला साहित्यम त्रैमासिक पत्रिका की ओर से सितम्बर 2024 राष्ट्रीय स्तर पर एक कहानी प्रतियोगिता आयोजित की गई | मिली जानकारी के मुताबिक इस प्रतियोगिता के लिए देश भर से विभिन्न कहानीकारों की कुल 65 कहानियां प्राप्त हुईं। इनमें से सर्वोत्तम पांच कहानियों के चुनाव के लिए अलग-अलग स्थानों के 7 कहानीकारों को निर्णायक की भूमिका दी गई।

हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ से प्रोफेसर रणजोध की कहानी ‘नलके-वाली’ भी इन पांच कहानियों में स्थान बनाने में सफल रही है|

गत दिवस पंजाब कला भवन चंडीगढ़ में एक भव्य समारोह में मुख्य अतिथि डॉ.सीमा कंवर, विशिष्ट अतिथि बलकार सिदधु तथा प्रायोजक चंचल शर्मा ने प्रो.रणजोध सिंह को अन्य चार कहानीकारों सहित सम्मानित किया |


प्रो. रणजोध की यह कहानी हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की पृष्ठ-भूमि पर आधारित है, जिसमे बखूबी शिमला शहर की समस्याओं को उज्जागर किया गया है| कहानी का अन्त बहुत ही मार्मिक है| कहानी का सन्देश भी बड़ा स्पष्ट है, कि जब जब भी इस देश के लोगों पर संकट आता है, वो अपने सारे वैर-वैमनस्य भूल कर एक हो जाते हैं|

ज्ञात रहे अभी हाल ही में प्रोफेसर रणजोध सिंह की कहनियों की नवीन पुस्तक ‘कैंथ का पेड़’ जिससे निखिल पब्लिशर आगरा ने प्रकाशित किया है, का लोकापर्ण हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने तीन दिवसीय राज्य स्तरीय रेड क्रॉस मेला (नालागढ़) के उद्घाटन सत्र में किया था|

प्रोफेसर रणजोध सिंह नालागढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार है| ‘आईना’ (काव्य संग्रह) तथा ‘कैंथ का पेड़’ (कहानी संग्रह) उनके द्वारा रचित पुस्तकें साहित्य के गलियारों में काफी चर्चित रही है| उनकी कहनियों, ‘कैंथ का पेड़’ तथा ‘धर्मराज के दरबार में’ पर पहले ही नाटक बन चुके हैं तथा गेयटी थिएटर शिमला में पुरस्कृत भी हो चुके हैं|

प्रोफेसर रणजोध सिंह नालागढ़ के बहु-आयमी साहित्यकार हैं| इनकी अनेकों कहनियां, लघु कथाएं, कविताएं, संस्मरण, व्यंग्य लेख तथा देश के विभिन्न समाचार पत्रों तथा साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं| टी.वी. तथा अनेक साहित्यिक पटलों पर भी प्रोफेसर सिंह की कविताओं / कहानियों का प्रसारण होता रहता है| साहित्य से संबंधित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान भी उनकी झोली में हैं|


नालागढ़ साहित्य कला मंच के अध्यक्ष यादव किशोर गौतम, सचिव हरिराम धीमान, नरेश घई, अध्यक्ष नालागढ़ पेंशनर्स एसोसिएशन तथा अन्य साहित्यकारों ने प्रो.सिंह की इस नई पुस्तक की सफलता के लिए उन्हें बहुत बधाइयां व शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह नालागढ़ के लिए भी एक गर्व का विषय है|